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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2687
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

अथवा
बी. एफ. स्किनर द्वारा प्रतिपादित सीखने की थ्योरी की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्वान्त

सीखने के क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्वान्त के प्रवर्तक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बी. एफ. स्किनर थे। क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्धान्त का वर्गीकरण सीखने के अनुबन्ध सिद्वान्त के रूप में किया गया। क्रिया प्रसूत अनुबन्धन में सीखने वाली की भूमिका सक्रिय तथा महत्वपूर्ण होती है।

क्लासिकल अनुबन्धन में व्यवहार का प्रारम्भ वातावरण के द्वारा किया जाता है एवं प्राणी वातावरण के द्वारा किया जाता है एवं प्राणी वातावरण में उपस्थित उद्दीपक के प्रति केवल अनुक्रिया करता है। स्किनर ने क्लासिकल अनुबन्धन की इस उद्दीपक अनुक्रिया प्रणाली में अन्तर्निहित पहल व अनुक्रिया के क्रम व्यवस्था की कटु आलोचना की। प्राणी अपनी ओर से ही स्वयं व्यवहार की पहल करता है। बिल्ली, कुत्ता, वनमानुष या अन्य सभी प्राणी कुछ न कुछ ऐसे क्रियाकलाप करते हैं जो वातावरण को प्रभावित करते है। एवं परिणामतः वातावरणीय क्रिया के प्रति अनुक्रिया उत्पन्न होती है। वातावरणीय क्रिया प्राणी के लिए सुखदायी होती हैं और उसे व्यवहार के दोहराये जाने की अधिक सम्भावना रहती है। वातावरणीय क्रिया प्राणी के लिए सुखदायक होती है तो उस व्यवहार को दोहराये जाने अथवा दोहराये नहीं जाने की सम्भावना का निर्धारण करती है यदि वातावरणीय क्रिया प्राणी के लिए सुखदायक होती है तो उस व्यवहार के दोहराये जाने की अधिक सम्भावना होती है। वस्तुतः थार्नडाइक के प्रयोगों से प्राप्त परिणामों ने स्किनर को इस दिशा में नये-ढंग से चिन्तन करने के लिए प्रेरित किया एवं उसने चूहों के ऊपर अनेक प्रयोग करके निष्कर्ष निकालना कि व्यवहार की पुनरावृत्ति तथा परिमार्जन उसके परिणामों के द्वारा निर्देशित होता है। व्यक्ति व्यवहार का संचालन करता है जबकि इसको बनाये रखना उसके परिणामों पर निर्भर करता है। इस प्रकार के व्यवहार को क्रियाप्रसूत व्यवहार अथवा उत्सर्जित व्यवहार के नाम से एवं इस प्रकार व्यवहार के सीखने की प्रक्रिया को क्रिया प्रसूत अनुबन्धन अथवा उत्सर्जित अनुबन्धन के नाम से सम्बोधित किया गया है।

स्किनर का प्रयोग - स्किनर के सीखने के सिद्धान्त को उनके प्रयोग द्वारा समझा जाता है। इन्होंने चूहों पर प्रयोग करने के लिए एक विशेष बक्सेनुमा यन्त्र का निर्माण किया जिसे उन्होंने क्रिया प्रसूत अनुबन्धन कक्ष कहा। स्किनर बॉक्स के लीवर को दबाने पर प्रकाश या किसी विशेष आवाज "होने के साथ-साथ भोजन तश्तरी में थोड़ा सा भोजन आ जाता है। प्रयोग के अवलोकनों को लिपिबद्ध करने के लिए लीवर का सम्बन्ध एक ऐसी लेखन व्यवस्था से रहता है जो प्रयोग के दौरान समय के साथ-साथ लीवर दबाने की आवृत्ति की संचयी ग्राफ के रूप में अंकित रहती है।

प्रयोग के लिए स्किनर ने एक भूखे चूहे को स्किनर बॉक्स में बन्द कर दिया। प्रारम्भ में चूहा बॉक्स के इधर-उधर घूमता रहा तथा उछल-कूद करता रहा। इन्हीं गतिविधियों में लीवर दब गया तथा घण्टी की आवाज के उपरान्त भोजन तश्तरी में भोजन का टुकड़ा आ गया। चूहा तत्काल ही भोजन को नहीं देख सका परन्तु कुछ देर बाद भोजन को देखकर चुहा उसे खा लेता है। इस प्रकार के कुछ प्रयासों के बाद चुहा लीवर दबाकर तश्तरी में भोजन गिराना सीख लेता है। स्किनर ने भोजन पाने के बाद के समय अन्तराल में लीवर को दबाने के चुहे के व्यवहार का विश्लेषण करके निष्कर्ष निकला कि भोजन रूपी पुर्नबलन चुहे के लीवर दबाने के लिए प्रेरित करता है। एवं पुर्नबलन के फलस्वरूप चूहा लीवर दबाकर भोजन प्राप्त करना सीख जाता है।

स्किनर द्वारा प्रतिपादित क्रिया प्रसूत अनुबन्धन में पुर्नबलन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा प्रभावशाली भूमिका रहती है। स्किनर ने क्रियाप्रसूत व्यवहार के लिए दिये जाने वाले पुर्नबलन को देने के कई क्रमचयों पर विचार किया एवं तदनुसार अनेक प्रयोग किये। पुर्नबलन देने के दो प्रारूप क्रमशः सतत पुर्नबलन तथा असतत पुर्नबलन हो सकते हैं।

क्रियाप्रसूत व्यवहार पर पुर्नबलन योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। क्रियाप्रसूत अनुबन्धन की प्रक्रिया प्राकृतिक तथा यादृच्छिक रूप से होने वाली अनुक्रियाओं से ही प्रारम्भ हो सकती है। परन्तु यदि वांछित अनुक्रियाएं स्वतः प्राकृतिक रूप से नहीं होती है तब उसके लिए प्रयास किये जाने की आवश्यकता होती है। प्राणी द्वारा अपेक्षित दिशा में छोटी-छोटी अनुक्रियाओं के करने पर प्रशिक्षक, अध्यापक तथा प्रयोगकर्ता के द्वारा पुर्नबलन देकर उनकी पुर्नबर्लित किया जाता है। बार-बार पुर्नबलित होने पर अनुक्रियाओं की श्रृंखला अनुबन्धित हो जाती है। स्पष्ट है कि क्रियाप्रसूत अनुबन्धन में वांछित अनुक्रिया को निकलवाना तथा उपर्युक्त पुर्नबलन प्रदान करना ये दोनों ही अत्यन्त महत्वपूर्ण सोपान है।

स्किनर द्वारा प्रतिपादित क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्वान्त अपने में काफी व्यापक होने के बावजूद भी मनोवैज्ञानिकों की आलोचनाओं से नहीं बच सका। स्किनर द्वारा सीखने में पुर्नबलन को आवश्यक मानने की आलोचना करते हुए मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पुर्नबलन के अभाव में सीखना सम्भव है।

स्किनर ने अपने इस सिद्वान्त का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार किया -

1. स्किनर ने पुर्नबलन को शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना तथा प्रतिपादित किया कि “अधिगम की प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के लिए पुर्नबलन का प्रयोग शिक्षक द्वारा होना चाहिए।
2. शिक्षक द्वारा छात्रों के समक्ष पाठ्य सामग्री की विषय वस्तु को छोटे-छोटे भागों में प्रस्तुत करना चाहिए। इस प्रकार से बालक शीघ्रता व सरलता से अधिगम कर सकते हैं।
3. सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया के द्वारा शिक्षक, अधिगम में सक्रियता पर बल दे सकता है 1 4. इस सिद्धान्त के आधार पर अध्यापक वैयक्तिक विभिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण प्रदान कर सकता है।
5. स्किनर के अनुसार पाठ्यक्रम शिक्षण पद्धतियों व विषय-वस्तु को छात्रों की आवश्यकता के अनुकूल बनाकर ही शिक्षक कार्य किया जाना चाहिए।
6. स्किनर ने बताया कि अधिगम में परिणाम की जानकारी होने से लाभ मिलता है इसलिए छात्रों को इसकी जानकारी अवश्य देनी चाहिए कि उन्होंने कितना सीख लिया है।
5. स्किनर के इस सिद्धान्त को बालकों को जटिल कार्य सिखाने में भी प्रयोग कर सकते है। शिक्षक को छात्रों को वर्तनी सिखाने हेतु अपेक्षित अनुक्रियाओं का संयोजन करना चाहिए। जिससे बालक शब्दों का शुद्ध उच्चारण करने के साथ-साथ उसे लिखना भी सिखाया जाए।

स्किनर द्वारा क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्वान्त अपने आप में काफी व्यापक होने के बाद भी मनोवैज्ञानिकों की आलोचना से बच नहीं सका। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इसमें क्रमबद्धता तथा वैज्ञानिकता का अभाव पाया जाता है। इसलिए अनेक मनोवैज्ञानिकों ने इसकी आलोचना की है।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है पुर्नबलन के अभाव में सीखना सम्भव है। अनेक मनोवैज्ञानिकों ने सीखने की प्रक्रिया को ठीक ढंग से स्पष्ट करने में स्किनर के सिद्धान्त को अक्षम माना है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये !
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- 'शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की विकासात्मक विधि को समझाइये तथा इस विधि की विशेषताओं एवं सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  6. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  7. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  8. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  9. प्रश्न- व्यवहारवाद की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद सम्प्रदाय का क्या योगदान है?
  10. प्रश्न- व्यवहारवाद तथा शिक्षा के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रकार्यवाद क्या है? उल्लेख कीजिए। प्रकार्यवाद का सिद्धान्त बताइए।
  13. प्रश्न- अवयवीवाद (गेस्टाल्टवाद) की मुख्य विशेषतायें बताइये।
  14. प्रश्न- फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद को समझाइये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करता है कैसे?
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान में व्यवहारवाद की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- व्यवहारवाद क्या है? इसका शैक्षिक महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- मनोविज्ञान के सम्प्रदाय का अर्थ तथा प्रकार का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- संरचनावाद का शिक्षा में क्या योगदान है?
  20. प्रश्न- अधिगम के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए। अधिगम एवं परिपक्वता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा बताइए।
  22. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति समझाइये।
  23. प्रश्न- परिपक्वता और सीखने में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन-से हैं? उन्हें स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले अध्यापक से सम्बन्धित कारक कौन-से हैं?
  26. प्रश्न- विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- अधिगम के वातावरण सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव और स्किनर के सीखने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  30. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  31. प्रश्न- प्रानुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  32. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  33. प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।
  35. प्रश्न- थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- गेस्टाल्ट का समग्राकृति अथवा अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त क्या है?
  37. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के शिक्षा में प्रयोग को समझाइये |
  38. प्रश्न- थार्नडाइक के सम्बन्धवाद अथवा प्रयास व त्रुटि के सिद्धान्त के द्वारा अधिगम को समझाइये |
  39. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  40. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  41. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- 'प्रेरणा' के सम्प्रत्यय का वर्णन कीजिए। छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए आप किन तकनीकों या विधियों का प्रयोग करेंगे?
  47. प्रश्न- अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
  48. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  53. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  54. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  55. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये |
  57. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  58. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  59. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  60. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  61. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने मानदण्ड क्या है?
  62. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  63. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  64. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन से हैं?
  65. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण के विभिन्न उपयोगों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- आई. क्यू. (I.Q.) से क्या तात्पर्य है? यह कैसे नापा जाता है? क्या आई. क्यू. स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर के समर्थन में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिये।
  68. प्रश्न- क्या आई. क्यू. (बुद्धिलब्धि) स्थायी होती है?
  69. प्रश्न- बुद्धि कहाँ तक पितृगत (वंशानुगत) होती है?
  70. प्रश्न- बुद्धि के स्वरूप व प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- बुद्धि-लब्धि क्या है?
  73. प्रश्न- बुद्धि की पहचान किन तथ्यों के माध्यम से की जा सकती है? व्याख्या कीजिए।
  74. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों एवं प्रकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता होने के क्या-क्या कारण हैं?
  76. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता मापने की विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  79. प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
  80. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता से आप क्या समझते है? शिक्षा में इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता का मापन व्यक्तित्व परीक्षा द्वारा कैसे किया जाता है?
  83. प्रश्न- परीक्षण के बाद व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइए।
  84. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइये।
  85. प्रश्न- वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियों का उल्लेख कीजिए।
  86. प्रश्न- डेक्रोली शिक्षण योजना को स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- कॉन्ट्रेक्ट शिक्षण योजना तथा प्रोजेक्ट शिक्षण योजना का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- डाल्टन योजना को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- निष्पत्ति लब्धि की व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- शिक्षा-लब्धि पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- निष्पत्ति परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- थार्नडाइक ने व्यक्तित्व को कितने भागों में विभाजित किया है?
  95. प्रश्न- स्प्रैगर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार बताइए।
  96. प्रश्न- युंग द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले जैविक एवं वातावरणजन्य कारकों का विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख गुणों (विशेषताओं) या शीलगुण सिद्धान्त का विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- व्यक्तित्व के निर्धारण में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण की भूमिका बताइए।
  100. प्रश्न- व्यक्तित्व निर्धारण में विद्यालय कैसे प्रभाव डालता है?
  101. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  102. प्रश्न- फ्रायड के सिद्धान्त के प्रमुख तत्व बताइये।
  103. प्रश्न- फ्रायड द्वारा बताई गई रक्षा युक्तियों को समझाइये।
  104. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित युंग के सिद्धान्त को बताइये।
  105. प्रश्न- युंग के अनुसार व्यक्तित्त्व का वर्गीकरण कीजिये।
  106. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- व्यक्ति की किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उसके मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार संरक्षित किया जा सकता है?
  108. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से संरक्षित किया जायेगा?
  109. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा नामे रखने के उपाय बताइए।
  110. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  111. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं?
  112. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व के स्रोत बताइए।
  113. प्रश्न- समायोजन से क्या आशय है? विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- समायोजन की विशेषताएँ बताइये।
  115. प्रश्न- विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- बचाव (समायोजन) क्या है? प्रमुख बचाव (समायोजन) यंत्रीकरणों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
  117. प्रश्न- 'संघर्ष' को परिभाषित कीजिए।
  118. प्रश्न- भग्नाशा (कुंठा) को परिभाषित कीजिए। भग्नाशा के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
  119. प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।
  120. प्रश्न- समायोजन स्थापित करने की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
  121. प्रश्न- तनाव प्रबन्धन क्या है?
  122. प्रश्न- समायोजन विधि को संक्षेप में समझाइये।

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